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Mar 2020
अभी तक बुद्धि फिरते देखी
अब हालात बदलते देख रहे हैं
      कभी बेटा बुढ़ापे की लाठी कहा जाता था
      परिवार उस पर इतराता था
          जब जिम्मेदारियां नहीं निभाता था
          तब बुद्धि फिरा कहा जाता था।
एक वायरस ऐसा आया
सारे रिश्तों को साफ कर गया
      यदि हो जाए कोई प्रभावित
      सब भागें हो आतंकित
       जिम्मेदारी अब बन गई भागना
       सिर्फ डॉक्टर को पड़े संभालना
देखो यह मानवता की विडंबना
  इसे कहते हैं हालात फिरना।
कहीं बच्चे अकेले रहकर
भूख से दम तोड़ गए
      कहीं बुजुर्गों को मिले नहीं वेंटिलेटर
      और दब गया मौत का एक्सीलेटर
जो सिखाया था जग ने उसका रहा नहीं कोई मोल
अब जो सिर्फ हालात सिखाएं वही है अनमोल
      चीज बहुत हैं दुनिया में
      लेकिन उपयोग कर नहीं सकते
          बन गया आदमी घर का कैदी
          जैसे हो कोई इसने लंका भेदी
हालात बन गया है ड्रैकुला
सारे रिश्तों का बना दिया कर्बला।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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     Jayantee Khare and Reyna
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