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Feb 2020
मरहम तभी लगा सकते हो
जब किसी की आंख का आंसू
आपकी आंख का आंसू बन बहने लगे
उसकी निराशा दूर करना
        आपके जीवन का उद्देश्य लगने लगे
मरहम तभी लगा सकते हो
जब किसी के हृदय का दु:ख
आपके हृदय की चुभन बनने लगे
उसकी हताशा दूर करना
         आपके जीवन का उद्देश्य लगने लगे
मरहम तभी लगा सकते हो
जब किसी की मृत्यु का दृश्य
आपकी आत्मा को झकझोर जाये और
‌          आप अपना वजूद भूल जाएं
मरहम की उम्मीद तब बेमानी है
जब किसी की आंख का आंसू
          किसी तराजू में तुलने लगे
जब किसी के हृदय का दु:ख
         इंतकाम का अवसर लगने लगे
जब मृत्यु का तांडव
     तुम्हारे पुराने घावों को सहलाने लगे
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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