गणतंत्र नाम है गौरवशाली जिससे हर तरफ है खुशहाली जन की सत्ता में है भागीदारी चाहे हो पुरुष, चाहे हो नारी सबको मिलती अपनी बारी युवा भी रखते अपनी बात बिना कोई रोक और दुश्वारी।
गांव, शहर,राज्य और देश सब चुनते हैं अपनी सरकार खड़ग,भाला, ढाल और तलवार कभी नहीं होती इन की दरकार ना गरीब, अमीर , अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का विशेषाधिकार सिर्फ स्वस्थ बहस और वोटिंग यही है बस इसका आधार।
संसद में बनते कानून समय-समय पर संशोधन तरह तरह का होता मंथन जिसका हो जितना प्रज्ञा चिंतन गरीब, अमीर, धर्म ,जाति का भेद मिट जाए बस गणतंत्र इतना और सक्षम हो जाए।।