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May 2019
अजनबी था यहां
चला था यूं ही
खाली शौक पूरा करने को
देखते ही देखते
लग गई लत
कविताएं लिखने को
लिख डाली कुछ प्यार पर
कुछ मौसम के मिजाज पर
कुछ खानपान की रंगत पर
कुछ फैशन की जमीन पर
कुछ उठने सोने की आदत पर
कुछ लिखी जीवन संघर्ष पर
कुछ लिखी स्वर्णिम सपनों पर
कई अपने परायों पर
तो कई महिला मुद्दों पर
तो कुछ बेहूदी करतूतों पर
मिला अपार स्नेह यहां पर
जब देखता हूं पीछे मुड़ ‌कर
कुछ लोगों ने इतना सराहा
जितना शायद मैं काबिल ना रहा
हिंदी में शाइना‌ भट्टी, श्रुति दाधीच
कनिष्का और जयंती खरे
यह हमेशा रहते हैं
बड़े ही उत्साह से भरे
अंग्रेजी में सीजे, फौन और पेरी
यह भी नहीं है किसी से परे
धन्यवाद आप सभी का
मेरे साथ होने का
और उत्साह भरने का
एचपी को मेरा सलाम
शतक पूरा करने का।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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