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Mar 2019
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होठों पे तबस्सुम-ओ-हया है
गज़ब की शोख़ी है।
उसके ज़ख्म-ए-जिग़र में कसक है,
बहुत वो गहरे हैं।।

अब इससे ज्यादा बतायें क्या
दास्तान-ए-हिज्र।
अब उसकी नफ़स-नफ़स पर भी
बला के पहरे हैं।।

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@ deovarat- 12.03.2019
दास्तान-ए-हिज्र=वियोग की कहानी
नफ़स=साँस
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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