H'llo Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Sefali Rani
Poems
Oct 2018
बची हुई आस
हार तो मुझे ना थी मंजूर
पर हार तो गई थी मैं
उस हार की वजह ना थी कुछ और
कमी थी मेरे ही इरादों में ।।
अपनी गलती को झुटलाना नहीं चाहती
और वो गलती दोबारा दोहराना भी नहीं चाहती
इसलिए तो दूरी बना रही हूँ मैं उन सबसे
ताकि खो ना दूँ मैं वो बची हुई आस ।।
समझ में आती है मुझे बस एक ही बात
है बची मेरे पास बस एक ही आस
अगर खो दिया मैंने वो बची हुई आस
तो कभी खुद को जोड़ ना पाऊँगी बस इतनी सी है बात ।।
बहुत सुन चुकी हूँ मैं सबकी बात
अब बस शांत ही रहना है मुझे
किसी को भी ना देना है मुझे कोई भी जवाब
खुद को खुद में ही बस जगाना है विश्वास ।।
#poets
#indianpoets
#hindi
#hindipoets
#writers
#keeptrying
#original
Written by
Sefali Rani
20/F/Ranchi
(20/F/Ranchi)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
516
Please
log in
to view and add comments on poems