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Aug 2018
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ये लगता है यकायक
अज़ल से नाजिल क़यामत है।

लब खुल ना सके फकत
अहसास-ए-थरथराहट है।।

उन कद़मों की आहट
सरसराहट उनके पैरहान की।

मेरी धडकन-ओ-साँसों
की मेरे दिल से बगावत है।।

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©deovrat 20.08.2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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