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Deovrat Sharma
Poems
Aug 2018
अयथार्थता
●●●
मन को उमंगों तरंगों से था वास्ता
सतरंगे छलावों का अहसास था।
यूँ ही ख्वाबों ख़्यालों में खोया रहा ओर
हक़ीकत की दुनिया से अनजान था।।
इस कदर हो के गाफ़िल इस संसार में
उम्र सारी गुजारी मिथ्या अहसास में
अब गुज़र जो गयी सो गुज़र ही गयी
अब भी कुछ वक्त है तू संभल जा जरा।।
उस भरम से उबर मन को एकाग्र कर
खुद को यूँ ना गवां ख़ुद की पहचान कर
लडखडा कर संभलना समझदारी है
तू जानता है ये सब पर नही मानता।।
यूँ ही ख्वाबों ख़्यालों में खोया रहा ओर
हक़ीकत की दुनिया से अनजान था।
मन को उमंगों तरंगों से था वास्ता
सतरंगे छलावों का अहसास था।।
●●●
©deovrat 09-08-2018
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
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