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Jun 2018
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उफ़ तक ना वो कर सका,
जब सर क़लम हुवा।

होठों पे तबस्सुम सा था,
विसाल-ए-यार का।।

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तस्सवुर-ए-प्यार में वो,
खोया था इस क़दर।

दोनो जहाँ से दूर था वो
अपने दिलबर के पास था।।

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© deovrat 11-06-2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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