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Jan 6
आज अपनी नाराज़ कलम से अपने दर्द को सजाया है,
अमीर और गरीब में बस एक छोटा सा अंतर बताया है,

सच्ची खुशी को वही समझ पाया है,
जिसने किसी रोते हुए को हसाया है,

अमीरो के घर एक बासी रोटी फेक दिये जाते है,
उसी एक रोटी के लिए कई गरीब भूखे सो जाते हैं,

अमीरो के घर एक महीने में जूते फेक दिए जाते है,
कड़कती धूप में चलते-चलते गरीब के पैर में छाले पड़ जाते है,

एक अमीर बिन कार एक कदम भी नही चल पाता है,
पर एक गरीब बिन पैर ही हजार मिल की यात्रा कर जाता है,

एक अमीर सिर्फ़ ब्रांडेड कपड़े ही पहनता है,
पर एक गरीब फटे कपड़े पहन भी मुस्कुराता है,

लाख कोशिशों के बाद भी एक अमीर चैन की नींद नही सो पाता है,
पर एक गरीब एक निवाला खाकर पूरी रात चैन की नींद सो जाता है।


मनीष............✍
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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