काजल तेरी आँखों को एक तरफा ईश्क़ में डुबो देता है मुझें फिर क्या मैं ईश्क़ के बादल में खो जाता हूँ तुझे खबर तक नहीं और मैं तेरी याद क़ैद हो जाता हूँ और लम्हें पल दो पल निहारता मैं तुझे देख कर और हज़ोरो लम्हें बीत जाते सुबह की किरण में चांदनी रात को याद करते करते।।।