ऐ मालिक, सिर्फ इतना-सा मुझपर तू करम दे, मुझे सनम से प्यारा मेरा वतन कर दे! !
कर दूँ निछावर तन-मन-धन सब अपना, इतनी प्रज्वलित मुझमें राष्ट्रप्रेम की अगन कर दे! !
सकुचित न होऊँ क्षणभर भी सरफ़रोश बनने को, ऐसी मनोवृत्ति का, मेरे ज़हन में जनम कर दे !!
अस्तित्व मिट जाए दहशतवादी नर-पिशाचों का इस धरा से, और परे हो मुल्क से गद्दारीभरी सोच भी ऐसे उसे तू दफन कर दे! !
मेरी माँ के आँचल तले चैन से सो सकूँ मैं, ऐसे विदा होने पर अता मुझे मेरे तिरंगे का कफन कर दे! ! ऐ मालिक, सिर्फ इतना-सा मुझपर तू करम दे! ! - सचिन अ॰ पाण्डेय