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Deovrat Sharma
Poems
Feb 2018
ख्वाहिश
...
तन्हा तुम हो, हम भी तन्हा।
ओर दुनिया की मजबूरियाँ।।
कुछ हम चलें, कुछ तुम चलो।
कम हो जायेंगी यें दूरियां।।
माना कि, दोनों की किस्मत।
ओ, ख्वाहिशें हैं जुदा- जुदा।।
दर्द - ओ - गम तो एक है।
ओर वैसी ही हैं रुसवाईयां।।
इतना ही काफी है दिलबर।
जानता है हाल- ए - दिल।।
है बेमानी, ख्वाहिशें।
फुरकतें खामोशियां।।
अपनी बैचेनी का आलम।
इस कदर पुरजोर है।।
खुद-ब-खुद छट जायेंगी।
ये दुख भरी तन्हाइयां।।
*deovrat - 04.03.2018 (c)
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
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