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Feb 2018
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तन्हा तुम हो,   हम  भी तन्हा।  
ओर दुनिया की मजबूरियाँ।।
कुछ हम चलें, कुछ तुम चलो।
कम हो जायेंगी  यें दूरियां।।

माना कि,  दोनों की किस्मत।
ओ,  ख्वाहिशें हैं जुदा- जुदा।।
दर्द - ओ - गम तो एक है।
ओर वैसी ही हैं रुसवाईयां।।

इतना ही काफी है दिलबर।
जानता है हाल- ए - दिल।।  
है बेमानी,  ख्वाहिशें।
फुरकतें खामोशियां।।

अपनी बैचेनी का आलम।
इस कदर पुरजोर है।।
खुद-ब-खुद छट जायेंगी।
ये दुख भरी तन्हाइयां।।


*deovrat - 04.03.2018 (c)
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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