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Nov 2017
आज फिज़ाओ का रंग बदल सा गया है,
आज खुशियो का सूरज ढल सा गया है,
जिस दिल मे बसाया था उन्हें,वो दिल आज
जली हुई मोम की तरह पिघल सा गया है,

इस दिल पर सिर्फ जख़्म के निशान है,
अब ये जख़्म ही इस दर्द का पहचान है,
बिन उनके जी तो रहा हु पर क्या बताऊँ
ये जिस्म अब सिर्फ एक मुर्दा समान है,

ये आंखे अश्क़ों से भर सा गया है,
सारे ख्वाब टूटकर बिखर सा गया है,
मेरे प्यार के भवरा को तो देखो ऐ बेवफा
सारी ख्वाइशें उसकी अब मर सा गया है
मर सा गया है.......

मनीष......✍
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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   Imran Islam
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