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Jan 2015
खुदा बख्स दे ऐसी जिन्दगी,
जिसमे हो सिर्फ तेरी बन्दिगी,
बहुत जी लिया स्वयं के लिए,
जीवन के स!रे रंगों को पिए..

जब तक की अब तन में जन रहे,
रगों में तेरे नाम का लहु रहे..
तेरा ही जिक्र या तेरी आरजू रहे..
ना मैं रहू ना मेरी ना मेरी जुस्तजू रहे..

अद्यतन ज़माने की हर चोट सही है,,
सदा ही भला करू कोशिश यही रही है,,
सही ही कहा है की जलना पड़ेगा,
स्वयं सदैव कायमी हो तो लड़ना पड़ेगा..

जीवन का पहिया तो चलता ही रहेगा,
धन-बल-तन छूटेगा कर्म ही रहेगा.
कायनात की तो अनेक बातें होंगी ,
करू कुछ ऐसा की ना कहे ढोंगी...
Gaurav Kashyap
Written by
Gaurav Kashyap  Varanasi
(Varanasi)   
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   --- and axr
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