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Ankit Dubey May 2019
Yun khafa na ** jaaya kro tum mujhse dar jata hu,
Na door jaaya karo tum mujhse dar jata hu,
Haan mai karta hu galtiyan par pyaar b sirf tumse hi karta hu,
Yu na bhulaya kro mujhko mai khud ko bhool jata hu,
Chahta kis kadar hu tumko ye tum bhi jaanti **,
Dil me ehsas sirf tumhara hai kya tum isse b ikaar karti **,
Wajah ** tum meri har khusi ki isme na koi jafa hai,
Na judaa ** jaaya karo mujhse kaise batau tumhe kis kadar toot kar bikhar jata hu..
Luv u
Ankit Dubey May 2019
You Walked Lightly You walked lightly into my life Captivating and lovely to my mind,
At first,
I never cared who you were Now I don’t know who I am without you,
You kissed me I felt my world change, You held me I heard my heart awaken, You loved me And my soul was born anew You walked lightly into my life
Now my heart knows who you are And with every breath And every step I take down lonely roads,
Your hand is my staff Your voice is my guide Your strength my shelter You’re passion my awakening.
You walked lightly into my life,
And all my pain You took as your own, And all my fears You cast into the sea, All my doubt Lost in your eyes, You walked lightly into my life And no matter if you choose to stay or go,
My life is forever changed,
Just because you loved me For a moment in time.
And because I choose To love you For the rest of mine.
I love u
Ankit Dubey May 2019
Aaja ab paas mere kahin der na ** jaaye,
Abhi pyar karne ki lagan hai kahin jindagi beet na jaaye,
Tu bhi kahin ehsaas to karta hi hoga ,
Chup chuo k meri chahat pe guroor to karta hoga,
Beet jaane k baad agar mere tu lautkar aaya,
To yaad rajhna kahin kho dene ka sadma tujhme na ubar aaye,
Nahi chahta mai k tere dil me gam e bahar aaye,
Aaja ab paas mere kahin der na ** jaaye....
Silsila rok de ab mujhse nafrat jatane ka,
Shabab gahra hoga mere dil se tere dil ko milane ka,
Khamosh hokar yun intjaar karna nahi acha,
Ab to bole do kahin chahne vala tera hamesha k liye khamosh na ** jaaye,
Din beet na jaayr kaali raat thahar hi na jaaye,
Betaabi badhti ja rhi hai yujhe paane ki,
Ab rok de intjaar k lamhon ko kahin bahut der na ** jaaye,
Aaja mere paas ab kahin der na ** jaaye.
Ankit Dubey May 2019
Jab bhi khush hota hu ye sochkar k kuch aur paas aye ** tum mere,
Kismat har baar tumhe aur door le jati hai....

Har baat yaad karne lag jaata hu jab bhi mai,
Teri majboriya mujhe kuch aur yad karne ko majboor karti hai.....

Tere pyar me tujhe sochkar hi tere aks ko choone ki jab jab koshish karta hu,
Har bar kismat mujhe khud k koi aur hone ka ehsas karati hai.....

Har jarre me jab teri tasveer najar aati hai,
Tab bhi na jaane ku aankhon se ojhal hone lagti **......

Bhoolkar bhi agar koshish karoo k ye ehsaas hi bahut hai k tum meri **,
Naa jaane ku tu un ehsaason me bhi kuch aisa kar jati hai,
k yaad rakhta hu tumko aur tu kuch aur door chali jaati hai.......

** gya hu adat se majbur fir bhi tumhe pyaar karta hu,
aur ye dillagi hai k har baar tumhe aur pyar krne ko majboor kar jati hai......
Ankit Dubey May 2019
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ,
उजली-धुँधली तस्वीरों की
कुछ यादें ताजा करनी हैँ..

वो बाग-बग़ीचों में मिलना
खेतों-खलिहानों में मिलना,
वो आमों के बागों वाली
पगडंडी फिर से चलनी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ...

वो छुप-छुप कर तुमसे मिलना
क्यारी में फूलों का खिलना,
वो महुआ की महकती डाली
आज फ़िर से पकड़नी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातें तुमसे करनी हैँ..

वो नदिया के गीले तट पर
साँझ ढले का अँधियारा,
वो सरसों के खेतों की मेड़ो वाली
तँग राह फिर से गुजरनी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातें तुमसे करनी हैँ...

वो नीम के फूलों का गुच्छा
गेंहू की भुनी हुयी बाली,
वो गाँव के कुयें में पानी वाली
तेरी मटकी फिर से पकड़नी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ..

वो गाँव की हाट का कच्चा रास्ता
सावन में मेलों के झूले,
तीखे-तीखे चाट-पकौड़े
वो मिर्ची फिर से चखनी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैं.

वो मन्दिर के पिछवारे में
खण्डहर की टूटी दीवारें,
मख़मल के घास बिछौने पे
ढलते सूरज की अगुवाई फिर से करनी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातें तुमसे करनी हैँ...

वो नहर का छोटा सा पुल
पानी पे सूरज की किरणें,
मेरी रफ़ कॉपी से बनी
कागज़ की नाव चलानी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ..

वो इमली के पेड़ों की खटास
अमरूद के मौसम की मिठास,
वो बेरों के काँटो की चुभन
मुझे गालों पे फिर से सहनी हैँ,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ....

वो चिड़ियों सँग आवारा पन
बादल का बंजारा पन,
वो हवा में उड़ती लाल पतंग
तेरे लिये पकड़ कर लानी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ..

तूने अपनी नादानी में
जो चीजें मुझस छीनी हैँ,
जब साथ था अपना हरदम का
वो ज़िन्दगी फिर से जीनी है,
एक शाम मुझे तुम मिल जाओ
कुछ बातेँ तुमसे करनी हैँ...
Ankit Dubey May 2019
मैं चाहता हूँ
तुम मेरे लफ़्ज़ों को
अपने सुर्ख़ लबों पे
हया की तरह सजाओ,

मैं शान्त हो
तुम्हेँ सुनता रहूँ
तेरे सामने बैठा रहूँ
और तुम बड़े सलीके
उन्हें हर्फ़-हर्फ़ दोहराओ,

जब भी साँझ में
चिलमन से रिसते
अँधेरों के रेशों को ताकूँ मैँ
तुम मेरे शब्दों को
किसी दिये की
लौ समझ कर जलाओ,

किसी स्याह रात के
अँधेरे में जब तुम
अजीज को खोजो
तब धुँधलके की चादर बन
मेरे लफ्जों से
अपने बदन को सहलाओ,

जब कोंपलों में
भँवरा कोई
मदमस्त हो मकरन्द ढूंढें
तुम मेरे लफ़्ज़ों को
भँवरे की धुन
समझ कर गुनगुनाओ,

हसीन वादियों में
चूम जाती हैं
जैसे हवायें बदन को,
बस उसी तरह
मेरे अल्फ़ाज़ों को
सिहरन समझ
तुम मेरे बदन पे गुदगुदाओ,

जैसे गूँजता है
तेरा नाम इन बहारों में
तुझे जोर से बुलाने पे
बस वैसे ही
मेरे भावों को
गूँज समझ कर
अपने अधरों पे सजाओ........!!
Ankit Dubey May 2019
न ज़िक्र,
न गुफ़्तगू
न दीदार ही होता है,

तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

हम ही तड़पते हैं
रात-दिन तेरे लिये,
या फिर तेरा भी
दिल बेक़रार होता है,
तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

तुम तो
सो जाते हो सुकूँ से,
और मेरी आँखों में
तेरा इन्तजार होता है,
तुम ही कहो आखिर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

न तलब - न तिश्नगी
तुमको मालूम होती है कोई,
और मेरी रूह पे
हर पल तेरा खुमार होता है,
तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

तुम तो रहते हो
मशगूल हर वक़्त ग़ैरों में,
दिल मेरा हर लम्हा
तेरे लिये निसार होता है,
तुम ही कहो आखिर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

तुम्हेँ मालूम नहीँ
हाल-ए-दिल मेरा,
और मेरा कल्ब
तेरी एक ख़बर को
खाकसार होता है,
तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

तुम तो बैठे हो
रक़ीबों की
बज़्म में बन के ग़ज़ल,
और मेरा मन
तेरी आवाज़ को तरसता है,
तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..

तुम न समझोगे
बन्दगी साँसों की मेरी,
और मेरी धड़कन पे
तेरी चाहत का शोर पलता है,
तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है.

तुम भुला दोगे
हमें अगले ही पल
ये मालूम है हमको,
मग़र मेरी साँसों पे
बस तेरी
यादों का जोर चलता है,
तुम ही कहो आख़िर
ऐसे भी कहीँ प्यार होता है..
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