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हर सुबह की इबादत हो आप,
मेरे होठों की मुस्कुराहट हो आप,
हमारे साँसों से गुजरने वाली हर हवा
उस हवा में छिपी सरसराहट हो आप,

इस दिल की जज़बात हो आप,
सपनो में हुई मुलाकात हो आप,
जब भी होते है हम दिल से खुश,
उस खुशी की पूरी लम्हात हो आप,

हमसफ़र हो मेरी बन्दगी हो आप,
सुबह और शाम की सादगी हो आप,
ये दिल जो सिर्फ आपके लिए धड़कता है,
उस धड़कन में छिपी मेरी ज़िन्दगी हो आप,

मेरी जान हो मेरा ग़ुरूर हो आप,
लड़खड़ाते हुए लफ्ज़ों की सुर हो आप,
जिस जन्नत की सभी करते है ख्वाईश,
उस खूबसूरत जन्नत की हूर हो आप.....:)
चलो आज उन वीर शहीदों के नाम एक पयाम करते है,
जो हो गए कुर्बान हमारे लिए उन्हें दिल से सलाम करते है,
कैसे चुकाएंगे हम कर्ज़ उन वीर जवानों का ,
जो ख़ुद सीने पर गोलियां खाकर इस वतन का नाम करते है,

लफ्ज़ छोटे पड़ जाते उनकी बहादुरी के बखान के लिए,
न धर्म न जाति होती उनकी, जीते है सिर्फ वतन के मान के लिए,
जो कड़ी धूप हो या हो सियाचिन की कड़कड़ाती ठंडी
सीना तान रहते हमेशा तैयार सिर्फ हमारी जान के लिए,

हम कभी हिन्दू तो कभी मुसलमान  करते है,
जाति धर्म के नाम पर झगड़े सुबह-शाम  करते है,
चलो आज मिटा दो इस भेदभाव को ताउम्र के लिए,
पकड़ कर हाथ एक दूसरे का इस तिरंगे का नाम करते हैं....
क्या पता कि कल हम कहीं आपसे रूबरू न हो पाए,
चलो आज लफ्ज़ों से ही हम हमेशा के लिए एक हो जाए,

अक्सर देखा है हमने सारे वादों को टूटते हुए,
किसी की साँसे बनकर पलभर में रूठते हुए,

हमने अपने ग़मो को कुछ इस तरह से छुपाया है,
जब जब देखा इस दुनिया ने मुझे सिर्फ मुस्कुराता हुआ पाया है,

वक़्त छोटे से ज़ख्म को भी नासूर कर देता है,
जिसे हम मोहब्बत करते अक्सर उसे ही दूर कर देता है,

कितना भी छुपाओ ये आंखे दिल की भाषा को समझ ही जाती है,
कुछ पानी सा बहता है इन आँखों से जब किसी की याद सताती है...

— The End —