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Jun 2018
क्या पता कि कल हम कहीं आपसे रूबरू न हो पाए,
चलो आज लफ्ज़ों से ही हम हमेशा के लिए एक हो जाए,

अक्सर देखा है हमने सारे वादों को टूटते हुए,
किसी की साँसे बनकर पलभर में रूठते हुए,

हमने अपने ग़मो को कुछ इस तरह से छुपाया है,
जब जब देखा इस दुनिया ने मुझे सिर्फ मुस्कुराता हुआ पाया है,

वक़्त छोटे से ज़ख्म को भी नासूर कर देता है,
जिसे हम मोहब्बत करते अक्सर उसे ही दूर कर देता है,

कितना भी छुपाओ ये आंखे दिल की भाषा को समझ ही जाती है,
कुछ पानी सा बहता है इन आँखों से जब किसी की याद सताती है...
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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