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Mohan Jaipuri Dec 2021
सही मार्ग वही है
जो कहे आपका दिल ।।
पढ़ चाहे थोड़ा कम लेना
दिल से हमेशा बच्चा रहना
अपनों के प्रति सचा रहना
जिंदगी यही सही है
यही है उत्तम मंजिल
अगर कभी भटकने लगे मन भावों में
करना वही जो कहे आपका दिल।

कमाई थोड़ी कम‌ कर लेना
इंसान हमेशा बने रहना
अपनों को समय जरूर देना
व्यवहार यही सही है
कहलाओगे काबिल
अगर कभी भटकने लगे मन लालच में
करना वही जो कहे आपका दिल।

खाना खाना आनंद से
सोना‌ बेफिक्री से
उठना ब्रह्म मुहूर्त में
कर्म योगी वही है
परोपकारी है जिसका दिल
अगर कभी भूलने लगे मन मर्यादा
करना वही जो कहे आपका दिल।।
Mohan Jaipuri Nov 2024
काम करना तो वही है
जो करते हैं हम शौक से
बाकी तो बस चलता है
जिम्मेदारियों के खौफ से।।
- मोहन सरदारशहरी
Mohan Jaipuri Nov 2024
जिनका काम बोलने लगता है
उनको फिर कौन तोल सकता है।।
Mohan Jaipuri Oct 2022
काचर - फली की सब्जी
बाजरे की रोटी
कार्तिक मास की पहचान
इससे ही होती
थोड़ा सा‌ घी सब्जी में
बाकी बाजरे की रोटी
में दीजिए पीलाय
मार पालथी बैठ ज़मीं
बड़ी रूची से खाय
ना गर्मी का खौफ
ना सर्दी हाड़ कंपाय
रेगिस्तान की धरती पर
बस ऋतु यही सुहाय।।
Mohan Jaipuri Dec 2024
काले को सभी कहते काला
न ही किसी ने उधर नजर डाला
तूने जब गाऊन काला डाला
काले को बना दिया उजाला।।
Mohan Jaipuri May 2019
अगरिया का नमक उत्पादन
बड़ा निष्ठुर है यह रण का आंगन
चाहे हो पानी बांधना
या हो नमक बुहारना
यह काम खूबसूरती से
करती हैं गुजरात की ललना
बदले में पाती हैं
मर कर भी त्रासद भरी दुर्घटना
धड़ तो जल जाती है
पर पड़े पैरों को गाड़ना
कब आयेगा इनका
मजदूर दिवस सुहाना

अब चाय बागानों की सुनो कहानी
जो फिल्मों में दिखे रूहानी
वहां महिलाएं पत्तियां तोड़ती हैं
पर पत्तियां इन की अंगुलियां फोड़ती हैं
आठ घंटे के खड़े काम से
थककर चूर हो जाती हैं
नींद के लिए सुलाई
इनकी संगिनी हो जाती है
काश !इनकी व्यथा सुनने
कोई मजदूर दिवस आ जाये
और कोई राहत इनको दे जाये

नंदूरबार के मिर्ची उद्योग में
दिखती हैं रंग-बिरंगी जनानीयां
इनकी भी कुछ इतर नहीं‌‌ हैं कहानियां
ना‌ जलन की परवाह
ना‌ मिर्ची की धांस
बस एलर्जी बन‌ जाती है
उम्रभर इनके लिए एक फांस
काश! कोई मजदूर दिवस
इनके लिए भी ले जाए
कोई राहत की आस।
Mohan Jaipuri Apr 2019
रोज सुबह मेरे घर के पिछवाड़े
खेजड़ी पर कई तोते होते हैं
सुबह छ: बजे ही मुझे
अपनी चहचहाट से जगाते हैं
जब मैं चुग्गा ले कर जाता हूं
शोर मचाने लगते हैं
और आसपास मंडराने लगते हैं
कोई भी तोता अकेला चुग्गे
पर चुपचाप नहीं आता है
हमेशा समूह में ही आते हैं
समूह में ही खाते हैं
यह देख मुझे मनुष्य पर
बेहद शर्मिंदगी होती है
वाह रे मनुष्य! तू कितना
संकीर्ण और स्वार्थी है
जो खुद सब को गिरा कर
अकेला ही हड़पना चाहता है।
Mohan Jaipuri Oct 2022
आज  पंद्रह अक्टूबर
राजस्थान के काश्तकारों का दिन है
आज के दिन ही काश्तकारी
अधिनियम लागू हुआ था
काश्तकारी अधिनियम से ही
खातेदारी अधिकार मिले हैं
कुंभाराम आर्य जैसे किसान मसीहा
इस धरती‌ पर किसान हित में लड़े हैं
तब जाकर आज कहीं काश्तकर
गर्व से खातेदार कहलाते हैं
वरना जमीं जमींदार की
इस साल तूने जोती
अगले साल‌ किसी‌ और की।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
कभी वह ढूंढती थी
मुझे गुफ्तगू के लिए
मैं था अपनी मस्ती में
वह कभी उकताई नहीं
बांधे पुल भरोसे के
अब मैं हो गया मुट्ठी में
बल है उसकी भृकुटी में
यह कोई नया नखरा है
या सबूत है कि उसको
कभी कितना अखरा है।
Mohan Jaipuri Dec 2020
सरकारें आती हैं
सब्सिडी, लोन,
बिजली से भरमाती हैं
कर्ज के परिणामों से अनभिज्ञ!
     किसान हंसता है
     कुछ नकली हंसी
     कुछ राहत की मदहोशी
यह देख सरकार
पैंतरा बदलती है
अनाज को
खुले बाजार की सुपुर्दगी
का निश्चय करती है
     किसान रोता है
     अपना आपा खोने पर
     मजबूर होता है!
Mohan Jaipuri Jan 2021
किसान की मजबूती
लट्ठ,हठ और आपदाओं
की‌ सहनशक्ति।।
Mohan Jaipuri Dec 2020
ये कैसा किसान‌ दिवस आज
किसान बैठे हैं सड़क पर
और खेत हैं सुनसान।
     आज सुनकर इनकी बात
     कुछ तो करो राह‌ आसान
     धरती‌ बिछोना‌ अंबर चादर
     ऊपर से सर्दी है पूरे परवान
यों ही‌ कोई नहीं त्यागता
खुली सड़कों पर‌ प्राण
     जहां शंका है वहीं
     जन्म लेता है समाधान
     जहां विघटन है वहीं
     जन्म लेता है संगठन
बस नियत‌ हो साफ और
उद्देश्य हो कल्याण
      मुद्दा‌ जिद का नहीं है
     ये है किसान के जीवन का सवाल
     उपजाने के‌ बाद में हमेशा ही
     औने-पौने दामों में लुटता उसका माल
बड़े-बड़े व्यापारियों से प्रतिस्पर्धा से
दिला दो इसको त्राण
      कहते हैं देश की समृद्धि का
     रास्ता गुजरता खेत- खलिहानों से
     खेत - खलियान आबाद होते हैं
      किसानों की खुशहाली से
इस देश की खुशहाली को
बचाने का आज करो कोई ऐलान।।















Farmers day is celebrated in India on 23rd Dec. It is the birthday of late PM ch. Charan singh who is known as " champion of india's peasants"
Mohan Jaipuri Dec 2020
उतार आए हैं सिर से
सारे ही बोझ
बैठे हैं सीमा पर चाहे
पुलिस आये या फौज।
       कभी मौसम ने लूटा
       कभी महामारी
       हम सहते रहे
        सारी दुश्वारी
दु:खों की कतार
हमने देखी है रोज।
       अस्तित्व कुछ होता है
       यह हमें ना मालूम
‌        सभी हमें छलते हैं
      हमें पहचान की ना तालीम
धरती से ही जुड़े हैं
बस यही एक मौज।
       हमें किसी से अपेक्षा नहीं
       फिर भी यह कैसी जबरदस्ती
       कृषि सुधार का टोकरा
    लेकर आ गया राज रूपी हस्ति
      सांसे हो गई महंगी गर्दन है सस्ती
अब तो भूल चुके हैं
करना अपनी ही खोज।
Farmers agitation in India.
Mohan Jaipuri Feb 2021
'किस्स' का भी अजीब सा किस्सा है
फूलों को 'किस्स' करो तो भाव
विनम्रता और सरलता का जागता है
एक छोटे बच्चे को 'किस्स' करो
तो मन ऊर्जा से भर जाता है
बीवी को यदि 'किस्स' करो
जीवन में सुकून बना रहता है
प्रेमिका को 'किस्स' करो
तो नशा ज्यादा होता है
पर मन आशंकित ही रहता है।
Mohan Jaipuri May 2021
एक तरफ कुत्ते की खुजली
राम ही जाने कितनी गहरी
दूसरी तरफ अंधे की‌ लाठी
जो चिल्लाये उस पर भारी
बहस‌ चले बस मूत्र ‌चिकित्सा
और बचे हुए गाएं राग दरबारी
हाय‌! राम ये कैसी दुश्वारी।।
# Today's India
Mohan Jaipuri Dec 2022
उम्र पांच दहाई की
सफेद चांदी बालों में
आकर्षक लालिमा गालों में
अनुभव की लकीरें माथे में
कुछ पूंजी खाते में
सचा सहारा जीवनसाथी का
यह दौर होता है बेबाकी का
कर सकते हैं कुछ मन की
पहन कुर्ता रूहानी रंग का।‌
Mohan Jaipuri Oct 2020
आज दिवस भला उगा
नवरात्र का आगाज
घर में ब्याई कूकरी
लाई पिल्ला पांच
घर गूंजा किलकारी से
मैं रहा हूं‌ पुस्तक बांच
अब दिन जरूर फिरेंगे
यह बात है बिल्कुल सांच।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
सुबह तीन किलोमीटर दौड़ लगाई
कृष्ण जन्माष्टमी प्रभु का ध्यान धराई
आपकी कृपा से हलवा बनाई
पहले आप के भोग लगाई
फिर मेरे पेट की हुई भराई
श्रम पहले फिर चाहे जो खाई
यही आदर्श मेरे समझ में आई।।
Happy Krishna Janmashtami to all HPians
Mohan Jaipuri Feb 2024
जब कैमरे को साक्षी बनाया
मुझको तेज ने फिर जगाया ।।
Mohan Jaipuri Jun 2020
लाल फूल व हरी पत्तियों वाला
सूट जिसका है आंगन काला
रेगिस्तान हरियाला लगे जब
पहने इसको कंचन वर्ण बाला
उस पर हरियाली चुनर और
मुस्कान का हुनर निराला
आंखें तुझ पर अटक गई
तू ये कैसा जादू कर गई।

मुश्किल तो तब बढी
जब देखे कंगन लाल
खनक इनकी सुन ना पाये
हम रह गए कंगाल
मन में आया अब बाली बन
तेरे कानों में लटक जाऊं
कंगन की खनक में
हर संगीत का आनंद पाऊं
आंखें कानों पर अटक गई
तू यह कैसा जादू कर गई।

मैं मन भर लिखता हूं
तुम सब पढ़ लेती हो
तुम रत्ती भर लिखती हो
मैं कैसे पढूं तुम्हें
इसलिए मेरी आंखें
तुम्हारा आईना बन गई
और तुम पर ही अटक गई
तू यह कैसा जादू कर गई।
Mohan Jaipuri Feb 2020
रिश्ते में...

ना काले गोरे का भान हो
बस सही भावों का उत्थान हो
नकारात्मकता का पतन हो
                               हृदय की बात सुनी जाए
                                  कोई राज बीच ना रह जाए
उम्र की ना कोई चर्चा हो
जमाने की रुसवाई पर ना खफा हों
बस आंखों में विश्वास हो
                            चेहरा ही सब बता जाए
                                  कोई राज बीच ना रह जाए
चांद ,तारे मिले ना मिलें
फूलों से सेज खिले ना खिले
फुर्सत के क्षण मिले ना मिलें
                                आंखों में आशा मिल जाए
                                  कोई राज बीच ना रह जाए
अपनो के आंगन सदा घूमें
स्नेह हमेशा आंचल चूमे
देश - दुनिया में घूमे ना घूमें
                               ख्वाबों की दुनियां ना मुरझाए
‌                             कोई राज बीच ना रह जाए
Mohan Jaipuri Dec 2022
दर्द जो छलक जाये
कुछ रिश्ते तो ढह ही जायें
दर्द जो दबा लिया जाये
रिश्तों की दवा बन जायें
दर्द जो साध लिया जाये
कोई नई मंजिल दिलायें
कुछ दर्द ऐसे जो कोई
भी समझ न पाये
वही दर्द ऐसे हैं जिनका
कोई परिणाम न आये ।‌।
Mohan Jaipuri Nov 2024
आज एक बार फिर 'डियर'
बोल कर उसने सितम कर दिया
उम्र को धक्का देकर पीछे कर दिया
दिल के महल में एक दिया जला‌ दिया
अंदाज उसका यह हमें भी भा गया
उम्र हमारी भी दिल फेंक वाली नहीं फिर भी
उम्र के इस बरगद में 'प्रेम पंछी' के लिए
कोटर बनाना अब और भी आसान हो गया।।
Mohan Jaipuri Jul 2024
कोटरों में कबूतर रहते
जिनकी नहीं कोई बोली
अब कोटरों में मानव रहते
हालत उनकी भी वैसी हो ली
पहले सेक्टर वाली कोठियां
फिर आये ऊंचे-ऊंचे फ्लैट
बेरोज़गारी ने धीरे-धीरे
सब कुछ दिया समेट।।
Mohan Jaipuri Apr 2024
जहां तक दृष्टि जाती
वहां तक दिखता कोटा
उसके आगे बादल से लटका
दिखता फिर भी कोटा।
सुनहरी आकाश की उपमा
शायद धारण कर ली कोटा
पढ़ने आते बच्चे यहां
पाल सुनहरी सपना मोटा।
डोरिया की साड़ी प्रसिद्ध
गहनों का रुतबा ऊंचा
सात अजूबों की नकल
बात कहती कूंचा-कूंचा।
रिवर फ्रंट ने चमक बढ़ाई
चंबल हो गई स्थल सुहानी
बीचोंबीच शहर से गुजरती
लगती सौन्दर्य की रानी।।
Mohan Jaipuri Apr 2021
कोरोना की जंग में ना करो हृदय तंग
अफवाहें छोड़कर टीके लगवाओ
मन में भरकर त्योंहार जैसी उमंग
कोरोना का नाम तो मिट ही जाए
दुनिया भी देख- देख रह जाये दंग।।
#Had first dose of covishield yesterday. No any kind of problem felt .
Mohan Jaipuri Feb 22
KBC के श्रोताओं में से जिसे
नाम से जानते बासठ प्रतिशत
मेरा फोटो उसके साथ
वाह! कितनी गजब है बात।
चोबीस में थोड़ी हुई मुलाकात
पच्चीस के शुरू में छा गया तात
कुछ लोग रूपये की करते बात
असली सोना तो है औकात।
सदा सरल और सादगी को
हमेशा रखता अपने साथ
ब्यूरोक्रेसी से ज्यादा गणित पर
आज भी आजमाता हाथ।
शेर-ओ-शायरी और गजल
टूट पड़े जो मिले पजल(Puzzle)
रहता मिलकर सबके साथ
नखरे वालों से तंग है हाथ।।
Mohan Jaipuri Apr 2021
तीन शब्दों का यह वाक्य
जिसने पिछले तीन‌ दिन से
उड़ा दी थी मेरी नींद
आया है जो कौटिल्य अर्थशास्त्र से
सदियों से होकर प्रवीण
आज भरी जब आय विवरणी तो
पाया नहीं‌‌ कोई‌ कागज इससे विहीन
बातें की‌ और गूगल किया
तो पाया कुछ ऐसा सार
साझा कर रहा हूं सबसे
आप करना इस पर विचार
कोष तो है राजस्व
मूल से मतलब आधार
दण्ड प्रतीक है
राज्य प्रशासन का
जिससे विकास बनता साकार
इस तरह इस वाक्य का मतलब है
"राजस्व राज्य प्रशासन‌ का आधार "
इसलिए बिना डर करें इसका सत्कार
और बनें देश के विकास में भागीदार।।
Mohan Jaipuri Mar 2020
खुशी का ठिकाना ना जानू
ना दु:ख का प्रमाण
        जो आना है आएगा
        क्यों सूखें मेरे प्राण?
कल तक उड़ते थे आकाश में
आज है घर में विराजमान
        जो मिलता है सहज ही
        करो उसका सम्मान
कल तक हाट बाजार में
तरह-तरह के सामान
        आज रुपया जेब में
        फिर भी बाजार सुनसान
जो कल तक कहते थे
सब कुछ हैं विज्ञान और अनुसंधान
       ‌आज उनके ही तीर को
‌        नहीं मिल रहा कमान
हम तब तक ही कर पाते
        जब तक प्रकृति दे वरदान
        बिन उसकी अनुकूलता
हमारा कोई न मान
जितना यहां मिले मौका
उतनी हंसी कर लूं नाम
‌ ‌    जो आना है आएगा
     क्यों सुखें मेरे प्राण?
Something away from corona.
Why i should  worry ?
Mohan Jaipuri Jul 2020
समय ही अब वह किताब है
जहां मेरे संघर्ष का हिसाब है
दोस्त और सोच अब तुम्हीं हो
जिसके लिए जारी अब करतब है
रास्ता अब तुम्हारी ओर ही  है
जहां विचार-विमर्श की आशा है
बिखरने का अब डर नहीं
ना कोई निखरने की अभिलाषा है।
Mohan Jaipuri May 2021
परेशानी चाहे कितनी भी हो
मैं अपने कपड़ों की क्रीज टूटने नहीं देता
मेरा बस एक यही हुनर है
जो लोगों को सुकून लेने नहीं देता।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
खजाना हर बार हीरे मोती का ही नहीं होता है।
जिसने‌ शब्दों को‌‌ सहेजना और संवारना
सीख लिया वह भी दिलों की तिजोरी भरता है।
Mohan Jaipuri Aug 2024
आज रेगिस्तान में खेती होने लगी  खजूरी
धरती उगाती मेवे , कम होने लगी जी हूजूरी ।।
Mohan Jaipuri Jun 2024
कल मेरी नौकरी मुझ पर मुस्काई है
MACP के जरिए एस. ई. वाली
ग्रेड पे (L-19) ले आई है।
ओवरसियर के लिए भर्ती हुआ
अधिशाषी अभियंता बन गया
एस.ई.वाला वित्त लाभ भी
अप्रैल -23 से मिल गया
मां-बाप , सास-ससुर रहे नहीं
अब बताने को तरस गया ।
अजीब विडंबना है जब सुनने वाले हों
तो बताने को कुछ नहीं
बताने को हो तो समझने वाले नहीं।
शायद इसलिए ही कहा जाता‌ है
जिंदगी खट्टी- मिठी है
आज खबर यह मिठी‌ होकर भी
मेरे लिए दांतो के चिपकने जितनी खट्टी है ।।
Mohan Jaipuri Apr 2020
मौन है मानव
मन में खौफ लिए
                        अजीब सा
मानव के अस्तित्व को
घोर खतरा बनकर
कोरोना लील रहा
                       अजगर सा
गलियां लगती हैं जैसे
कोई तंत्र हो अय्यारी का
जिस पर पहरा हो
आदमखोर सियार का
खामोशियां तप रही है बनकर
                             बुखार सा
गायब है बसंत की तरुणाई
ना त्योहार ना कोई ब्याह-सगाई
रंग बिरंगी बसंत की छटा भी
लगती है एक बेगानी शादी में अब्दुल्लाह
                                दीवाना सा
घरों में कैद ये बच्चे
सिर्फ खेल रहे ताश और कंचे
कब खुलेगा इनका स्कूल
रंग बिरंगी मछलियों का
                            तालाब सा
Mohan Jaipuri Aug 2024
कुछ किताबों का
इतिहास कहीं और का
लिखते - लिखते दौर
हो जाता कहीं और का
पाठक टिप्पणी क्या लिखें
आज शौर है खामोशी का।।
Mohan Jaipuri Jan 2024
खिचड़ी के चार यार
पापड़,घी,दही, अचार
जाड़ों का दिन, सर्दी अपार
मिल गये पांचों एक थाली में
अब काहे का इंतजार।।
Mohan Jaipuri Jul 2020
आज मैंने बनाई खीचड़ी
नजर जिस पर दाता की पड़ी
मैंने खीचड़ी घी भरा
दाता ने मेरा खेत भरा
मैंने झुक-झुक दाता का
गुण गान करा।।
It was a beautiful coincidence that I made khichdi in dinner as garnished it with ghee then the first major rain of this shravan started. I have expressed my joy of this gift by god in this poem.
Mohan Jaipuri Jun 2022
जो चमकती नजरें देखा
करती थीं कभी सपने
वो नजरें हो चली हैं धुंधली
सपने सारे हाथों से फिसले
यादें बन गई हैं अब खुजली।।
Mohan Jaipuri Jan 12
लिखता हूं, अच्छा लगता है
और लिखता हूं तभी पढ़ता हूं
कोई टिप्पणी करता है, सीख मिलती है
टिप्पणी नहीं करता, सुधार की जरूरत है ।
दस लोग जुड़ते हैं , दस मित्र हैं
ज्यादा संख्या हो अच्छा है
ज्यादा मित्र नहीं होते, प्रशंसक होते हैं
प्रशंसक स्थाई नहीं होते, मित्र स्थाई होते हैं ।
लिखता रहूंगा मित्र हैं, समय है
लिखना मेरी खुराक है
प्रशंसक जुड़ना मुराद है
मुराद पूरी हो ना हो, खुराक से जीवन है।।
Mohan Jaipuri Jan 2021
खुशबू का काम है महकाना
लोगों का काम है महकना
ऐ खुशबू रोज उस राह से गुजरना
जिधर रहती है मेरी तृष्णा
नामुमकिन है तुझे  पकड़ना
राह का निश्चित है महकना।।
Mohan Jaipuri Aug 2019
मैंने खुशियां पाने का तखमीना बनाया
आसमान से जमीन तक हिसाब लगाया
परन्तु किसी  निष्कर्ष पर ना पहुंच पाया
जब हार कर मैंने अपने अंदर देखा
खुशियों ने मुझे अपने आप पास बुलाया।
Mohan Jaipuri Jul 2022
आज फिर थोड़ा इतरा लेता हूं
यह इतराने का दिन है
जिस दिन बेटी पैदा होती‌ है
उस दिन से  जीवन‌ में
खुशियों की "बीमा‌" हो जाती है।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
खुशियों के पल
जीवन में केवल उपहार हैं
घंटों के मेहमान
ये नहीं वफादार है
रंग-बिरंगे तेवर वाले
ये नहीं सदाबहार हैं
ये अविश्वसनीय,अकल्पनीय
जीवन की हकीकत से
इनका कम ही सरोकार है।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
किसी शायर का
ख्वाब हो तुम
उसकी कलम की
परवाज हो तुम
लफ्ज‌ जो होंठों तक
आते आते रुक गए
उन लफ्जों का
अहसास हो तुम
Mohan Jaipuri Apr 2019
प्यार जब करना ही है
तो उससे करो
जो हो पाकीजा
जिसकी आंखे बोलती हों
होंठ गुलाब की पंखुड़ी से हों
खुलें तो खिल-खिलाते हों
चेहरा नूरानी हो
वक्र आकृतियां तूफानी हों
बस ध्यान रखें
गुलाब की संगत कांटो की होती है
सुंदर स्त्री नखरीली होती है
औकात अपनी परख लो
उसके बाद फैसला लो
चल पड़ी तो रंगीन जिंदगी
वरना खूबसूरत बंदगी
और बंदगी लाएगी अद्भुत संजीदगी।
Mohan Jaipuri Nov 2021
अक्कल नै बाड़ी नीपजै , हेत नै हाट बिकाय।
Means wisdom doesn't grow in bed & love isn't found in the market.
Mohan Jaipuri Feb 2024
बिजली - पानी का मेल
कुछ तकनीक का खेल
खेजड़ियां पतझड़ डूबीं
सरसों रही इतराय।।
Mohan Jaipuri May 2021
खेला तो कई बार होबे
परंतु एक टांग पर प्लास्टर चढ़े
और रणचंडी बन आगे बढ़े
ऐसा मंजर पहली बार होबे
कई टैगोर के लिबास में डूबे
फिर‌ भी चौबे से बन गए दुबे
हाय! ऐसी पिटाई फिर ना होबे।।
# Results of 5 Nos assembly elections in India .# West Bengal TMC victory.
Mohan Jaipuri Jul 2022
हरा-हरा कुंदन का हार
जैसे तेरे गले बसे बहार
लंबे-लंबे कुंदन के झुमके
चूमे तेरे चमकते गाल
लब तेरे लगते गुलाब
चंचल आंखें करें कमाल
एक कंधे सजे दुपट्टा
दूजे सिल्की-सिल्की बाल
महकी-महकी तेरी बातें
दिल में भरते रोज नये ख्याल
तेरे ख्यालों की माला पहन
मैं जपता तेरा नाम पल-पल
ओ मेरे‌ रब्बा कर खैर
आज मेरी गली कर सैर।।
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