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कभी होता था चलते -चलते
बस यूं ही सरे राह मिल गये
अब तो मुश्किल से मिल पाते
आनंद बस इस बात में आता है
जैसे थे वैसे ही मिल गये।।
नोकरी, छोकरी और शायरी
दो समय तो ये हर बार निखार पाते।
इसमें कभी भी पारंगत नहीं हो सकते
हमेशा ये सुधार की गुंजाइश ही रखते।
लफ्ज़ यहां बहुत महत्व रखते
बिगड़े लफ्ज़ तो ये नहीं बख्शते।
रात दिन का फेर नहीं समझते
जब लगे तलब  तभी जगा लेते।
व्यक्ति जब तक कुछ सोचता
तब तक तो ये मुंह बना लेते।
तीनों ही रत्न ये अद्भुत
एक दूसरे को पुष्ट करते।
Key
You are sweet as flowers
I follow you like a bee
You are a married
While I am a single
I think this relation
doesn't has a key
Only a good friendship may be.
रुनझुन बजती टालियां, टच-टच हांकता ग्वाल
गधे पर छागल लदी, चले अकाल-सुकाल
रेगिस्तान में बस यही रौनक का पर्याय
बरसे या नहीं बरसे मेहनत तो लेते निकाल।।
आती है तो ले लेते हैं
सर्दी का थोड़ा आनंद ले लेते हैं।
काली नागिन सी रातों को
तेरे सहारे ही काट लेते हैं।
सुबह चांदी सा कोहरा देख
तेरे आगोश में  सिमट जाते हैं।
जिनको नहीं आती तुम
वो जिंदगी से मुंह मोड़ लेते हैं।
जिनका हो इकबाल
पीछे चलता ऐतबार
जिंदगी में परखा यह
एक नहीं सौ बार।।
Those who have their admissibility
The trust follows them
Not once but a hundred times
I have tested the same
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