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दिल मिले,जज़्बात निकले
चेहरे खिलते ही साथ चले।।
मिलकर मन हर्षाए
दिन पल में बदल जाए
मन जूगनू बन जाए
और चमक आंखों आए
रिश्ता यह दिल का कहलाए ।।
वह इतना ऊंचा देखते हैं
मैंने कोशिश की और ठिठक गया
उन जैसा कुछ कर ना सका
यादों के भंवर में ही उलझ गया।।
- मोहन सरदारशहरी
मौसम तो आते जाते हैं
मौसम की रवानी का क्या कहना
बात पुरानी कहकर देखो
फिर जानो क्या होता‌ है दिल में रहना ।।
Life takes to places
Love brings to home
Festival is occasion
Happiness is the aim.
बन आईना उनको देखता रहा
स्केच भी बनाता रहा
शीर्षक क्या दूं
मसला यह अनसुलझा रहा।।
है जो परेशां वह परेशानियां ही बांटेगा
बैठकर पूजा में वह नजरें तुम पर ही रखेगा
भले नहीं है उसके सिर पर  बाल
कंघी तुम्हारी भी छुपाकर ही रखेगा
जर- जर नाखूनों को पालिश क्या सुधारेगी
तुम्हारे नाखून ना सुधरे इंतजाम यह रखेगा
भले हाजमा नहीं है दुरुस्त उसका
दीवाली की मिठाई खिला- खिला
इलाज तुम्हारे लिए भी पुख्ता रखेगा।।

        😀😀😀😀😀
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