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Mohan Jaipuri Oct 2024
करवा चौथ नहीं
यह तेरा श्रृंगार
और रूप निखार है
छत पर चढ़ती तेरी
पायल की झंकार है
छलनी में से देखती
आंखों का अंदाज है
अव्वल तो मेरे लिए
तेरे बदन की भीनी
खूशबू  का आगाज है
ज्यों -ज्यों बरस बीते जाएं
खूशबू बढ़ती जाती है
रंग तेरी साड़ी के देख
मेरी रैना इतराती है।
Mohan Jaipuri Oct 2024
तारे गिननें से नींद नहीं आती
खुशी जब अंदर हो
तभी खूबसूरती भाती
पास में जो है उससे बतिया लो
जानवर ही क्यों ना हो
उससे प्रतिक्रिया आती।।
Mohan Jaipuri Oct 2024
जाना‌ तो कवियों को भी पड़ता है
यह राह वरना बनी रहेगी कैसे?
माना चले जायेंगे कवि भी एक रोज
अंदाज-ए-बयां उनके मिटने से रहे ।।
Mohan Jaipuri Oct 2024
कई रावण मुझमें हैं
जिनको जीतना मुश्किल है
मैं खुद उनका मुवक्किल हूं
खुद ही उनका वकील हूं।

भले को भला  कहता हूं
खुद की जब बारी आती
सबको भूल जाता हूं
खुद को आगे रखता हूं।
कई रावण मुझमें हैं...

खतरा देख कर डरता हूं
अन्याय अनदेखा कर देता हूं
बोलने का साहस नहीं होता
चुपचाप सह जाता हूं ।
कई रावण मुझमें हैं...

ज्यादा ‌गई थोड़ी रह गई
मंदोदरी अब रही नहीं
स्वाभिमान की सूर्पनखा के
कारण मुश्किल में पड़ जाता हूं ।
कई रावण मुझमें हैं...
Mohan Jaipuri Oct 2024
उम्र बियासी आईं
हुनर तरासती
मिल अमिताभ से
यों बतियाती
मैं बदनाम थी
तूने ख्याति दी।

# HBD
Mohan Jaipuri Oct 2024
जिंदगी का फलसफा
बस इतना सा है
काफी अकेला हूं और
अकेला ही काफी हूं
में जितना फासला है।
Mohan Jaipuri Oct 2024
टाटा को कैसे टा-टा कहें ?
कई शहर, रोजगार, परोपकार
जिस नाम से रोज चल रहे।
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