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Mohan Jaipuri May 2024
देखने को नज़ारे दुनिया में
होंगे बहुत हसीं
रहने को सबसे अच्छी
पूर्वजों की सरजमीं।
जीती लंका राम छोड़कर
वापस लौट आये अयोध्या
तो पूजे जाते हर‌ घर
जो‌ जीतकर बसे परायी जमीं
चर्चित उनके महल, मकबरे
पर‌ झुकता नहीं शीश उस दर।।
Mohan Jaipuri May 2024
लोग कहते हैं
आज चाय दिवस
ऐसा दिवस तो बताओ
जो बिना चाय हो।
चाय को एक दिन की बता
मेरी तोहीन ना करो
मैं मानव जीवन की
सर्वमान्य मनुहार हूं।
आम और खास
सब समान रूप से
मेरे तलबगार हैं।
गरीब पतीले में उबालता
और मीठे के लालच में पीता
अमीर गर्म पानी में कप में
बिना चीनी डिप-डिप करता
कितना‌ ही पेंतरा बदलो
पीने के लिए सिप- सिप
करवाकर सबको बराबरी
का आभास कराती हूं।
Mohan Jaipuri May 2024
आंखों से जाम लिया
होठों पर थाम लिया
उसने फोन काट‌ दिया
ये कैसा‌ सितम किया ?
सपने नहीं पूरे हुए
अधूरे भी कैसे कहें?
उसने तो मुझे पढ़ लिया
मैं  ही असफल रहा।।
Mohan Jaipuri May 2024
आंख मिल जाने से
कोई मिल नहीं जाता
हां शायर जरूर बना देता
शायरी लिखते-लिखते
जब कभी दीदार हो जाता
लफ्ज़ इतने जहन में बैठ जाते
कि हकीकत हजम‌ नही होता।।
Mohan Jaipuri May 2024
तेरी‌ निशानियां नहीं
ये तेरी कुर्बानियां हैं
जीवन के संघर्षों में
मुझ पे मेहरबानियां हैं।।
Mohan Jaipuri May 2024
यारी वह आरी‌ है
जो‌ बड़ी से बड़ी दु:ख
की रात काट सकती है
जुल्फ वो घटाएं हैं
जो बिन बरसे ही
लताओं का आभास
करा सकती हैं।।
Mohan Jaipuri May 2024
म्हारी आखातीज
घी‌-खीचड़े रो भोग
जे सागै खाटो मिलज्या
रैवां बारों मिनहां निरोग।
खेत में सोनचिड़ी दिखज्या
फोगड़ां गां सीटा
रामजी छांट करदे
सुगन मानां मोटा।
के तो घरै बीनणी आसी
के भरसी कोठ्या मोटा
बारों मिनहां धीणो रैसी
पीसां रो नीं होसी टोटा।।
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