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Mohan Jaipuri Feb 2022
आई फरवरी
भागी सर्दी
बदली वर्दी
देख बसंत
मन हुआ‌ मौजी
साजन‌‌ सुन
प्यार की‌ अर्जी
दिमाग‌‌ से ऊपर
दिल की मर्जी
तेरे बिन‌
सब है‌ फर्जी
घर लौट अब
छोड़ खुदगर्जी
Mohan Jaipuri Jan 2022
His life was his message
Which was based on
Non- violence & truth practices
Though the body has vanished
but his teachings flourish
and will always guide the masses.
Irrespective of boundaries of
Countries , caste, creed & races.
#  tributes to Mahatma Gandhi on shaheed diwas.
Mohan Jaipuri Jan 2022
आ जाओ अब तो धूप सजने लगी
मेरे जज़्बातों को हवा लगने लगी।

कुछ रोज तेरे
इंतजार में कट गये
कुछ सर्दी की
भेंट चढ गये
बीता सर्दी का पहरा ख्वाब फिर सुलगने लगे।

याद‌ तुम्हारी भीनी-भीनी
बसी हृदय ज्यों कस्तूरी
मुस्कान तुम्हारी झिनी- झिनी
करती रोमांचित ‌ज्यों बिजूरी
फ़रवरी की आवक देख मेरे नैना तरसने लगे।

तेरे संग बीता समय
है मेरी सोने की‌ गिन्नी
तेरी बातें रस-रसीली
मेरे जीवन चाय की चिन्नी
फागुन के किस्से सुन, अरमानों से चिलमन हटने लगे।

तेरे आंचल की
महक गुलाब सी
आभा आकर्षक
सरसों खेत सी
देख खेतों के रूप मेले मेरे मन में सजने‌ लगे।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
ऐ ठंड छोड़ दी
मैंने जिद्द नहाने की
डर कर तेरे प्रकोप से
अब तो बरत कुछ राहत
चल रही‌ है नाक
अकड़ रहे हैं हाथ
जब होती है प्रभात
सड़कें मिलती हैं सुनसान
खामोशी हर तरफ ऐसी
जैसे उजड़ गया हो गांव
ना कोवों की कांव
ना‌ नलों में सांय सांय
भांप कर अजीब ये नजारा
मैं दुबका रहता बिस्तर
सब से मुंह मोड़
जाने को आई जनवरी
अब तो पिछा‌ छोड़।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
यह दक्षिणी तेज हवाएं
बादलों से घिरा हुआ आकाश
पेड़ों का हवा के कारण
एक दूसरे पर गिरना
यह माघ का ठंडा दिन
यह शनिवार की छुट्टी
पीली टोपी में तेरा
वो सुनहरा सा चेहरा
आंखों में चमक झकाश
देखना तेरा मुझे
जैसे मैं हूं कोई कांच
कर देता है मेरे
विवेक की छुट्टी
लगता है दिन कहता है
आज कह लो जो
कुछ है कहना
वरना शमां ने तो है बुझना
तुम्हारे हिस्से रहेगा कुढ़ना।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
आज एक और रसीद आई
सुबह-सुबह उमंग ले आई
सौदागर के सपने भरने
देखो यह सुनहरे रंग में आई।

मकर सक्रांति पर्व पर यह
विचारों को पंख लगाने आई
बिन चरखी और डोर के ही
मुझको आकाश घुमाने आई।

मेरे कोमल मन को देखो
जहां की सैर कराने आई
मावठ के इस शीत मौसम में
शब्दों से इश्क की खुमारी लाई।।
# Publication of Saudagar
Mohan Jaipuri Jan 2022
उस चाय की अलग‌‌ है बात
जो सुबह हो तेरे साथ
एक हाथ में चाय का कप
दूसरे हाथ में मोबाइल
जिसमें चमके तेरा चेहरा
और बनूं उसका भौंरा।।
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