भेजने वाली शमा
पाने वाला परवाना
आज नींद नहीं आयेगी
जागी आंखों सपने आना।
परवाना गुलाब लाया
शमा को अर्पण किया
लौ कुछ ऐसे सजल हुई
मानो ग़ज़ल ने दिल छुआ।
अनजाना सा यह रिश्ता
फिर भी तू लगे फरिश्ता
आकाश मार्ग से कभी तो आ
महक जाये मेरा गुलिस्तां।
फकत निर्मूल आशा से
कब तक देखूं तेरी बाट
दिन कटे दुनिया की माया
तेरे सपनों, मैं सो नहीं पात।।