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Jun 2018
फ़िक्र ना करो तुम धीरे धीरे बिल्कुल बदल जाएंगे हम,
जैसे सोचा ना था कभी सपने में वैसे बन जाएंगे हम,
तुम्हारे चंद शब्दो ने इतना मजबूर कर दिया मुझे
की ख़ुद की खुशी का ही क़त्ल कर आये हम,

गिरगिट भी वैसे रंग नही बदलता जैसे बदल गए तेरे रंग,
जला दिए हमने वो सारी यादें जो बिताये थे कभी तेरे संग,
यू तो तेरे लिए इस दिल मे अब कोई जगह नही,
पर फिर भी तेरी सलामती के लिए दुआ कर आये हम,

आज इस ज़िन्दगी से थक गए है हम,
नजाने कितनो की नज़र में बुरे बन गए हम,
सच बताऊ तो अब जीने की ख्वाईश नही
क्योंकि उस मनीष को कहीं दूर छोड़ आये हम
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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