अपनी यारी को हम तस्वीरों में रखा नहीं करते, उसे दिल में सजा के हमने है रखा।
निकली होगी आके दूजा की सातों पीढ़ियाँ, मगर कभी दिल पे किसी ने ना लिया।
गाली देते न हम हकीकत में कभी, वादे न निभाते हम सिर्फ़ लफ़्ज़ों में कभी।
मोहब्बत से पहले आती है यारी, ज़िंदगी के हर पड़ाव पर चाहते हैं हम, मोहब्बत से पहले यारी।
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