इक ख़्वाब था जो हक़ीक़त से परे,
इक कश्ती, इक लड़की और इक दरिया पानी से भरे।
लामहदूद पानीयों की वुसअत में,
हम तैरते रहे, ख़्वाब की क़ुर्बत में।
आफ़ाक़ पे था सूरज, सुनहरा और चमकदार,
उसकी ख़ूबसूरती की तरह, इक अनोखा सा दीदार।
बादलों के बीच, इक हल्का सा झलक,
रंगों की दुनिया, दिल पे डालती महक।
ना कोई किनारा, ना कोई थकन का एहसास,
बस सुकून का दरिया, और ख़्वाब का लिबास।
चाहत का वो पल, रूह को जला दे गया,
और सुबह का ख़्वाब, दिल को रौशनी दे गया।
A dream that was beyond reality,
A boat, a girl, and an ocean full of water.
In the vastness of limitless waters,
We floated, in the closeness of a dream.
On the horizon, the sun was golden and radiant,
Like her beauty, a sight so unique.
Amidst the clouds, a faint glimpse,
A world of colors, filling the heart with fragrance.
No shore, no feeling of fatigue,
Just a river of peace, and a robe of dreams.
That moment of longing set the soul aflame,
And the dream of dawn lit up the heart with its glow.