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पता नहीं कि ये दिलकशी कब हो गया,
पता नहीं कि मेरा अक़्ल कहाँ गुम हो गया।

मुझे दिखा दे रहा है पर अंधा हो गया,
मुझे सुना दे रहा है पर बहरा हो गया।

मेरे ख़्वाबों में तू सजा गया,
मेरे ख़यालों में तू बसा गया।

धीरे-धीरे बेवकूफ़ हो गया,
शायद मुझे इश्क़ हो गया।
I don’t know when this attraction began,
I don’t know where my senses disappeared.

I see but have become blind,
I hear but have become deaf.

You’ve adorned my dreams,
You’ve settled in my thoughts.

Gradually, I’ve become foolish,
Perhaps, I have fallen in love.
Vishnu R
Written by
Vishnu R  23/M
(23/M)   
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