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Sep 2024
मोहिनी सूरत
मित भाषी
ज्यादा लिखूं
लगे आभासी
खोलूं आंखें
नजर न आये
बंद आंखों में
वही समाये।
लाज के मारे
दफन सीने में
नजाकत नहीं
इस जीने में
नींद हमारी
सपने तुम्हारे
राज बस शब्दों
में जाये उकेरे।
भटक-भटक
अटक-अटक
जीवन जाये
लटक-लटक
बिन तेरे
लोग कहते
मैं जी रहा
सटक-सटक।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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   Benzene and ---
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