लोग कहते हैं आज चाय दिवस ऐसा दिवस तो बताओ जो बिना चाय हो। चाय को एक दिन की बता मेरी तोहीन ना करो मैं मानव जीवन की सर्वमान्य मनुहार हूं। आम और खास सब समान रूप से मेरे तलबगार हैं। गरीब पतीले में उबालता और मीठे के लालच में पीता अमीर गर्म पानी में कप में बिना चीनी डिप-डिप करता कितना ही पेंतरा बदलो पीने के लिए सिप- सिप करवाकर सबको बराबरी का आभास कराती हूं।