Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 2024
जहां तक दृष्टि जाती
वहां तक दिखता कोटा
उसके आगे बादल से लटका
दिखता फिर भी कोटा।
सुनहरी आकाश की उपमा
शायद धारण कर ली कोटा
पढ़ने आते बच्चे यहां
पाल सुनहरी सपना मोटा।
डोरिया की साड़ी प्रसिद्ध
गहनों का रुतबा ऊंचा
सात अजूबों की नकल
बात कहती कूंचा-कूंचा।
रिवर फ्रंट ने चमक बढ़ाई
चंबल हो गई स्थल सुहानी
बीचोंबीच शहर से गुजरती
लगती सौन्दर्य की रानी।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
Please log in to view and add comments on poems