देश में राजनीति तो कब का मर चुका है, मुझे तो लगने लगा है कि शायद वो कभी था ही नहीं, हमारे तो नायक हैं, नायक, और वो नायक बड़े सक्श्य़ं है कुत्ते पालने में, बहुत ही वफादार कुत्ते, हां यहां प्रजा सेवक कहा होता है, यहां तो राजकीय "नायक" होता है, यहां प्रजा कहा होते है, यहां तो अपने-अपने नायकों के वफादार पालतू कुत्ते होते हैं।
मुझे कुत्तों से कोई आपत्ती नही 🙏, कुत्तों जैसे इन्सानों से है। जय हिन्द।