वह लड़का था मगर उसे घर छोड़ना पड़ा बेदर्द इस दुनिया में हजारों से वह लड़ा नसीब लिखने की कोशिश में कई बार खाना-पीना भी छोड़ा नैया जब किनारे पहुंची भाग्य ने अटकाया फिर रोड़ा बिछुड़ा दिया एक पंछी जो हमेशा दुरर्दिनों में साथ था खड़ा भौतिक संसाधनों का मोह पल भर में ही छूट पड़ा दुनिया के दु:खों से लड़ने में तू बनता है सहारा तेरे दिये दुखड़ों के आगे बस बचता सिर्फ नाम तेरा।।