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Feb 2023
जैसे वादियों से लिपटता है
निर्मल और धवल कोहरा
आगोश में रहकर‌ भी
ना शक का कोई पहरा
मेरा मन उसे ढूंढ रहा है
जो‌ बांधे प्यार का सेहरा
मुझे अपने स्वरूप में रहने दे
उसे अपना स्वरूप हो प्यारा।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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   Edmund black
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