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Mohan Sardarshahari
Poems
Nov 2022
थोड़ा पहले जैसा बन जाते हैं
चलो थोड़ा पहले जैसा बन जाते हैं
कमसिन सी तेरी पेंटिंग बना उसमें
गुलाबी सा रंग भरकर
ओस की दो-चार बूंदें माथे पर बनाते हैं।
कानों के कोनों में तेरी मनपसंद
इत्र के फाये दबा कर
कान के पास जाकर फूलों का एहसास पाते हैं।
सिर पर छोटे-छोटे काले बाल फिर से बनाते हैं
बालों को कानों पर लहरा कर
घटाओं सा एहसास पाते हैं।
सजल सी आंखों में
नीली झील सी पुतलियां बनाकर
उनके द्वारा दिल की गहराइयों में उतरते हैं।
खोलकर होठों को गुलाब की पंखुड़ी सा बनाते हैं
बीच में संगमरमरी दांत बनाकर
हंसता हुआ एक चेहरा सजाते हैं।
फिर काली आधी बाजू की टीशर्ट पहनाते हैं
ऊपर के दो बटन खोल कर
फिर से पुरानी यादों में खो जाते हैं
चलो थोड़ा पहले जैसा बन जाते हैं।।
Written by
Mohan Sardarshahari
56/M/India
(56/M/India)
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