सर को कभी ना जो झुकने दे मान को जो ना गीरने दे हर उलझनो को जो सुलझा दे हर मुसीबतो से जो डट कर लड़े हा सायद पुरी तरह ना जीते पर सच का साथ कभी ना छुटे खुद के सोच से बस वो आगे बढ़े ओरो को यह अभिमान है लगे पर सर पर सजा ताज यह बने जीसे स्वाभिमान हम कहे वो स्वाभिमान जो नाहि कभी सर को झुकने दे ना ईरादो को तुतने दे नाही कभी कदम है दगमगाए सच्चाई की राह जो हम अपनाए वो हि तो स्वाभिमान हे कहलाए और वही हमारी पहचान है बन जाए|