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Mar 2021
रीवाजो पर चलता हैं
रीतियों का यह आदि हैं
यह डोंग यह आडंबर
कुछ नहीं बस बरबादि हैं
खेलता है यह ईनसानो की भावनाओं से
धनवानों का यह साथी हैं
कुफ्र हैं यह, जलजला हैं
कयामत का यह बाराती हैं
बच के रहना ओ साथी मेरे
अंधविश्वास की नगरी से
भगवान बैठा है
हर घर के चौकरी पर
Akta Agarwal
Written by
Akta Agarwal  21/F/Kolkata
(21/F/Kolkata)   
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     Khoisan and Sarita Aditya Verma
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