उठते ही प्रभु का स्मरण करूं फिर माता-पिता को प्रणाम करूं आजीविका है जीवन आधार उसकी सलामती की दुआ करूं दोस्त मेरे गुण-दोष उजागर करें उनसे नित उठ विचार विमर्श करूं बच्चे मेरे महकते फूल उनकी मुस्कान की रंगत बनूं जीवन संगीत तो बस है भोगे हुए पलों का शब्दांकन और इच्छाओं की भाव-यात्रा जिसको अनवरत जारी रखूं संघर्ष है जीवन की पाठशाला जिस के द्वार पर दस्तक देता रहूं।।