राजा था राम, राजा था कृष्ण दुनिया को जिन्होंने दिया पुरुषोत्तम और पुरुषार्थ का दर्शन कलयुग में अब कहां हैं राजा चारों तरफ बजता है झूठ ,फरेब का बाजा फिर भी कहीं देखना है यदि राजा का अक्स लग जाओ पिता के वक्ष वो सच्चा पालनहार शख्स जो देता है बिना प्रदर्शन मिलकर होगा आत्मदर्शन वही है मेरा सच्चा राजा साथ जिसके रहकर होता मेरा सदा यश वर्धन।।