Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Oct 2020
जीवन जटिल से जटिल हुआ
उम्र के हर मुकाम पर
जीवन की साध बढ़ती गई
इसके हर नये आयाम पर
चाहा था संगीत,मिल रहा है क्रंदन
यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण

संबंधों की पकड़ ज्यों ज्यों ढीली पड़ती
अंदर की छटपटाहट बढ़ती
भावों का उभार आता
त्यों त्यों सहने की ताकत बढ़ती
सत्य स्वीकार नहीं,झूठ का है अभिनंदन
यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण

प्रश्नों पर मनन नहीं ,उनका करते हैं दमन
उत्तर कहां से पाओगे,जब मन में नहीं चैन
आरोपों की नाव पर कब तक होगी सवारी
एक दिन तो खत्म होगी ये सब‌ खवारी
ये खुराफाते तब तक लील जाएगी जीवन
यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
47
   Eshwara Prasad
Please log in to view and add comments on poems