HelloPoetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
RAFIQ PASHA
Poems
Jul 2020
आइना
ज़िन्दगी के दौड़ मे, छूट गए वह लम्हे
मैं उन लम्हो को अब, फिर जीना चाहता हूँ
लब्बो तक आकर न जाने कितने पियले छूट गए
आज मैं उन पियालो से पीना चाहता हूँ
बातिन क्या है , मख़फ़ी क्या है
हर ज़ख्म को अब मैं सीना चहता हूँ
ज़िन्दगी मैं तुझ से अब क्या मांगू
मैं मौत से चन्द पल छीनना चहता हूँ
अब ज़िन्दगी के हर शै का मतलब समझ गया
इस लिए चुपके से सब कुछ पीना चहता हूँ
पता न चले कब सुबह हो कब शाम ढले
हर दिन ऐसा हो मैं वह महीना चहता हूँ
कितने भी रंजीशे हों , इस दुनिया में
सिर्फ मुस्कुराता चैहरा नज़र आए , ऐसा आईना चहता हूँ
Written by
RAFIQ PASHA
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
151
Sarita Aditya Verma
and
divya chauhan
Please
log in
to view and add comments on poems