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Jun 2020
जब जब तुम आंखों में काजल लगाती
तब तब जीवन गति का बोध कराती
लगे आंखें ना हों, जैसे हों तारे
प्रतिक्षण बदले चमक ये नैना तोरे
मैं बस देखूं तो लगे जैसे
तूने कैनवास पर भाव उकेरे
नैनो की डोर से मैं कब बंध जाता
इसका मुझको ना आभास हो पाता
दिल का हाल कहने से
इनको मैं रोक न पाता।

जब जब तुम लिपस्टिक लगाती
लालिमा इंद्रधनुष जैसी बिखरा देती
फूलों का लब आभास कराते
पर मेरे मन में शोले भरते
बस मैं तुम्हें देखता रहता पर
नजरों को मैं दिल की बात कहने से
कभी रोक न पाता।

जब-जब तेरे खुले बाल लहराते
चेहरे में तेरे नया रंग भर जाते
फिसल फिसल कर गाल चूमते
हम रह जाते हाथों को मलते
मुंह मेरा खुल खुल जाता
दिल की बात कहने से
इसको मैं रोक न पाता।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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