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Oct 2019
आज मैंने वक्त का इशारा समझा
और कूलर साफ किया
कूलर के भी हत्थे मेरे हाथ में आए
दर्द उसने भी अपना साझा किया
बोला चलता हूं इसलिए कि
डर है मेरी जगह कोई ऐ .सी. ना ले ले
वरना शरीर मेरा जर्जर है
तू अपनी भी टोह ले ले
बड़बड़ करता हूं ताकि तू ना भूले
तेरे बच्चे तो हैं हम हैं बिल्कुल अकेले

पानी का नमक पी-पीकर
हो गए शरीर में दुनिया भर के छेद
हो सका तो करूंगा फिर सेवा
वरना होगा मेरा यह आखिरी खेद
देख रहा हूं तू भी मेरी तरह
डरता है चलने से
इसीलिए तो कतराता है
दोस्तों की महफिल में जाने से
कुछ दोस्त अभी भी ना वाकिफ होंगे
उम्र की हकीकत से
पर तुम घुल मिल लेना समय रहते
समय को कहां मतलब है तुम्हारी अकीदत से।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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