Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Oct 2019
सभी व्यस्त है अपने कामों मै
या अपने दोस्तो मै
मै है क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हूं
इन गैर सोच मै
शायद मुझे भी अपनी ओर रूख मोरना चाहिए
लोगो को छोर अपने आप को देखना चाहिए
क्यों लोगो की सुनू
खुद की सुनने की एक कोशिश भी ना करू
पता नहीं  क्या हो गई हूं
खुद मै हि खो गई हूं
क्या चाहती हूं खुद से
ये भी ना जानू
हर रोज़ तय करती हूं
अपने ऊपर ध्यान दूंगी
लोगो को छोड़ो उनका क्या है
आज ये कहेंगे तो कल कुछ और
तो अच्छा है न खुद मै खो जाऊं
इस फरबी दुनिया की भीड़ मै खोने से
ज्यादा बेहतर है खुद खुद मै खो जाऊं
रोजाना कोशिश करती हूं
खुद मै रहूं,खुद से रहूं
पर नहीं होता
क्या करू
पर कोई ना कोशिश जारी रखी है
देखती हूं कब तक खुद से हारती हूं
खुद से जीतने के ज़िद्द
बस कायम रखनी है।
Written by
Rashmi
  209
     Surbhi Dadhich and Loveless
Please log in to view and add comments on poems