Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Aug 2019
वैसे तो अभी वक्त नहीं है
तथ्य और पथ्य जानने का
कुनबा तेरा सशक्त नहीं
मोल है उसका आने का।
एक बात शाश्वत है
जोखिम तभी लो
जब हो कुछ पाने का
तपे हुए सोने पर से विश्वास
ना कभी डिगाने का।
नतीजे जो भी हो
सीख मिलेगी‌ बढने की
खुश किस्मत होते हैं वो घर
जहां मां के हाथ कुंजी है
तुम्हारी समझ को मानना
यही तुम्हारी पूंजी है।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
  271
       N, MrunaliniDNimbalkar, Saumya and SHAINA BHATTI
Please log in to view and add comments on poems