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Mohan Jaipuri
Poems
Jul 2019
बिन साजन बरसात
हृदय यूं चिंगारी लगे
अब वर्षा भी खारी लगे
वर्षा आई चाव से
भीगा तन मन सारा
निर्लज्ज कड़के बिजली
कांपे रूह ज्यों बाढ
में बहती कोई नैया
घर आंगन घूमता लगे
हृदय यूं चिंगारी लगे...
पड़-पड़ बूंदों की आवाज
जैसे प्रेम संगीत नायाब
वल्लरियां जब पेड़ों से लिपटे
आलिंगन का इशारा सा लगे
हृदय यूं चिंगारी लगे...
काली घटाएं ऐसे छाई
दिन को ही अब रात बनाई
धड़ धड़ अब हृदय धड़का
कैसे होगा अब अगला तड़का
सारा माहौल दुश्वार लगे
हृदय यूं चिंगारी लगे...
प्यारे मोर पपीहा बोलें
ये पक्षी भी मन की गांठ खोलें
प्रिया हो तो हम भी डोलें
अपने हृदय की वाणी बोलें
हृदय यूं चिंगारी लगे...
Written by
Mohan Jaipuri
60/M/India
(60/M/India)
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