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Jun 2019
जब तुम थे तो
दुनियां देखकर लगता था
जैसे यह तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा
दुनियां की हलचल
जैसे तुम्हारे हाथों की लय पर
पूर्ण होते कार्य हर पल
दुनियां के आभूषण
जैसे तुम्हारे प्यार का सम्मोहन
दुनियां की अच्छाई
जैसे तुम्हारे तन की परछाईं
दुनियां की हरियाली
जैसे तूने प्यार की इबारत लिख डाली
दुनियां द्वारा अवहेलना
जैसे तुम्हारा आंखें तरेरना
और वापस गृहस्थी में डूबना
यों था ना‌ कभी भान
ऐसा भी आता है तूफान
दुनियां की रंगत
अब लगती है फीकी
घाव मेरे गहरे
किसी को न दिखी
पर मुझे ऐसा लगता है
जैसे उनमें भरी हो मिर्च तीखी
बस तुम्हारे आदर्श और संस्कार
झुंझलाती जिंदगी को देते हैं रफ्तार
विनती हमारी प्रभु से दोनों कर जोड़
बता देना उनको हम हैं प्रसन्न चित्त
वरना आज वह भी होंगीं बहुत विचलित।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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     Jeanette and Inked Quill
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