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Apr 2019
नजाकत का खेल निराला है
यह अंधेरे में भी उजाला है
इससे कोई बच ना पाए
इसका पूरा प्रबंध तेरे पास है
कुछ नजाकत हमें तेरी याद हैं
जो हमारी अद्भुत पूंजी हैं
जिसका हम कर रहे निवेश आज हैं
रेस्टोरेंट में मेनू पर
धीरे धीरे फिसलती उंगलियां
एक नजाकत है
साथ बैठकर लंच करना
तेरा मुंह ही मुंह में कोर चबाना
एक नजाकत है
भीड़ में शांत रहकर
गाने सुनते -सुनते
फंसी हुई गाड़ी निकालना
एक नजाकत है
कीमती स्टोन की माला में
पेंडल जैसे गोगल लगाना
एक नजाकत है
जादुई खुशबू लिए पास से गुजरना
जो सबको प्यारा लगता है
ऊपर से तेरा "एक्सक्यूज मी" बोलना
एक नजाकत है
आंखों को खास काजल लगाना
और उनको सजल बनाना
ऊपर से तेरा कनखियों से देखना
एक नजाकत है
तारीफ सुनकर भी अनसुना करना
फिर दोहराने पर धीरे से
तेरा वह मुस्कुराना
एक नजाकत है।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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   Jayantee Khare and Renee Danes
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