आज एक अद्भुत ऑडियो सुना दो अनोखे किरदारों को जाना एक और पुरुष की लंपटता की विशाल दिखावटी पोट दूसरी और एक सच्ची औरत की उस पर कारगर व शालीन चोट अब तक ऐसे संवाद फिल्मों में देखे थे पर आज प्रत्यक्ष सुने थे सुनकर हम सन्न रह गए हमारा दिल कुछ सोच न पाए औरत घर को बांधती है अपने दर्द को हरदम छुपाती है दूसरे घर की औरत का दर्द उतना ही बखूबी समझती है काश! पुरुष औरत को समझ अपनी झूठी ज़िद छोड़ दें अपने घरों को औरतों के फैसलों पर मोड़ दें संसार सुंदर खुशहाल हो जाए और बच्चे नेक इंसान बन जाएं।